Gonda News: आजादी से 17 साल पहले प्रेम पकड़िया मैदान में मनाया था जनतंत्र दिवस

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गोंडा। नगर का प्रेम पकड़िया मैदान स्वतंत्रता आंदोलन का साक्षी है। यहां देश को पूर्ण आजादी मिलने से 17 साल पहले 26 जनवरी 1930 को ही देशभक्तों ने जनतंत्र दिवस मनाकर जनतंत्र का प्रथम प्रस्ताव पढ़कर जनता में आजादी का जोश भरा था।

स्वतंत्रता आंदोलन की अगुआई कर रही कांग्रेस की जिला इकाई का गठन साल 1920 में हो गया था। मगर 1924 में जब ईश्वर शरण ने पार्टी की बागडोर संभाली तो प्रसिद्ध शायर रघुपति सहाय गोरखपुरी और देवबंद के मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना अहमद हुसैन मदनी का गोंडा आगमन हुआ। साल 1925 में ईश्वर शरण सौ स्वयंसेवकों के साथ कानपुर जाकर कांग्रेस के कार्यक्रम में शामिल हुए। तब उनके कार्य से प्रभावित होकर उन्हें काकोरी कांड के मुकदमे में गवाही तोड़ने और मुकदमे की पैरवी का दायित्व सौंपा गया। इसके बाद ब्रिटिश हुकूमत को चुनौती देने की योजना बनी। इसमें तय हुआ कि देश को गुलामी की बेड़ियों से मुक्त कराने के लिए नागरिकों के मन से भय समाप्त करना होगा।

26 जनवरी 1930 को जनतंत्र दिवस मनाने और उसी दिन अंग्रेज सरकार हटाने के लिए प्रस्ताव पारित करने का निर्णय हुआ। देश में पूर्ण स्वराज की घोषणा के बाद जगह-जगह तिरंगा फहराया गया। गोंडा में इसके नेतृत्व का जिम्मा ईश्वर शरण और लाल बिहारी टंडन को सौंपा गया। प्रसिद्ध लेखक डाॅ. जगदेव सिंह के अनुसार, पूर्व निर्धारित योजना के तहत 26 जनवरी सन 1930 को गोंडा नगर के प्रेम पकड़िया मैदान में जनतंत्र दिवस का आयोजन किया गया। उपस्थित जनसमुदाय के समक्ष दोनों कांग्रेस नेताओं ने जनतंत्र का प्रथम प्रस्ताव पढ़कर जनता में आजादी का जोश भरा। आंदोलन की अगुवाई कर रहे ईश्वर शरण और लाल बिहारी टंडन को ब्रिटिश सरकार ने गिरफ्तार कर लिया। जनतंत्र दिवस मनाने के बाद क्रांतिकारियों की अंधाधुंध गिरफ्तारी हुई और गोंडा शहर में अनिश्चितकालीन समय के लिए धारा 144 लागू करके ब्रिटिश हुकूमत ने जनसभा व जुलूस पर पाबंदी लगा दी थी। तमाम कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी से जनमानस में कुछ दिनों के लिए दहशत फैल गई थी।

पढ़ाई छोड़ स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े थे बाबू ईश्वर शरण

बाबू ईश्वर शरण का जन्म पांच अगस्त सन 1902 को गोंडा नगर के राधाकुंड मोहल्ले में हुआ था। इनके पिता और आर्य समाज के प्रेरणास्रोत श्यामा शरण जिला एटा से यहां आए थे। ईश्वर शरण ने पांच वर्ष की अवस्था में एक मौलवी और रामदास आर्य पाठशाला में प्राथमिक शिक्षा पाई। सन् 1916 में राजकीय हाईस्कूल एटा में भर्ती हुए। सन 1919 में जलियांवाला बाग के संदर्भ में बैठक के दौरान ईश्वर शरण पर इसका भारी प्रभाव पड़ा। इन्हीं दिनों उन्होंने कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की। महात्मा गांधी के ‘पढ़ाई छोड़ो‘ आह्वान पर 1920 में पढ़ाई छोड़ दी और कांग्रेस के संगठन में जुट गए। 1936 में संयुक्त प्रांत आगरा अवध के प्रांतीय एसेंबली चुनाव में तरबगंज तहसील से भारी बहुमत से जीते। आजादी के बाद सन 1962 व 1967 में बाबू ईश्वर शरण गोंडा सदर सीट से विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए। राधाकुंड स्थित उनका आवास ‘श्याम कुटीर‘ जिले के स्वतंत्रता प्रेमियों के लिए प्रेरणा स्थली रहा है।

रियाया अखबार से आजादी के प्रति चेतना जगाते रहे लाल बिहारी टंडन

बरेली शहर के संपन्न और समाजसेवी के रूप में विख्यात स्वर्गीय बनवारी लाल के पुत्र लाल बिहारी टंडन का जन्म 14 जून 1901 को हुआ। बरेली में ही प्राथमिक शिक्षा प्राप्त कर वे पिता के साथ गोंडा चले आए। यहां के राजकीय हाईस्कूल में पढ़ाई के दौरान महात्मा गांधी के आह्वान पर देश में असहयोग आंदोलन छिड़ गया। गांधी जी से प्रभावित होकर वे स्कूल छोड़कर आंदोलन में कूद गए और समाज में राष्ट्रभक्ति और आजादी के प्रति चेतना जगाने के लिए साल 1924 में प्रेस लगाकर रियाया नाम से साप्ताहिक अखबार का प्रकाशन शुरू कर दिया। 26 जनवरी 1930 को जनतंत्र दिवस पर आजादी का प्रस्ताव पढ़ने के दौरान गिरफ्तार कर लिए गए थे। साल 1936 में संयुक्त प्रांत आगरा अवध के प्रांतीय एसेंबली चुनाव में उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में गोंडा तहसील से जीत हासिल की। 1940 में भारत रक्षा कानून में 10 माह तक जेल काटने के बाद और 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लेने के दौरान बम्बई (मुंबई) में पुलिस की गोलीबारी से घायल हुए और गिरफ्तारी के बाद अगस्त 1942 से 1945 तक नजरबंद रहे। आजादी के बाद उन्होंने नगर में गांधी संस्थान की स्थापना की, जिसके तत्वावधान में बना गांधी पार्क आज भी जनमानस के लिए श्रद्धा का केंद्र है।

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