Gonda News: बृजभूषण अब एनजीटी के निशाने पर, मुश्किलें फिर बढ़ीं

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गोंडा। देश और दुनिया की प्रख्यात महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न के आरोपों का सामना कर रहे कैसरगंज के भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह की मुश्किलें बढ़ने लगी हैं। वे अब एनजीटी के निशाने पर आ गए हैं। उनके खिलाफ अवैध खनन के मामले में राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) ने पांच विभाग व जिलाधिकारी की छह सदस्यीय संयुक्त कमेटी गठित कर जांच का आदेश दिया है।

सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ तरबगंज तहसील क्षेत्र के तीन गांवों में अवैध खनन का आरोप लगाते हुए एनजीटी में दर्ज कराई शिकायत का संज्ञान लेते हुए एनजीटी के न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी की अध्यक्षता वाली पीठ ने जांच के लिए एक कमेटी बनाई है। जिसमें पर्यावरण मंत्रालय, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन, यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और गोंडा की जिलाधिकारी को शामिल किया गया है।

कमेटी अवैध खनन और ओवरलोड ट्रकों के चलते पर्यावरण को हुए नुकसान की जांच करेगी। कमेटी एक सप्ताह के अंदर उन स्थलों का दौरा करेगी, जहां अवैध खनन की शिकायत है। जांच के बाद कमेटी को सात नवंबर 2023 तक तक रिपोर्ट दाखिल करनी होगी।

याचिका में अवैध खनन, पुल व सड़क के नुकसान की बात

याचिकाकर्ता राजाराम सिंह ने जिले के तरबगंज तहसील क्षेत्र के ग्राम माझाराठ, जैतपुर और नवाबगंज में अवैध बालू खनन और प्रतिदिन 700 से ज्यादा ओवरलोड ट्रकों के चलने से सड़क और पुल को भारी नुकसान होने का आरोप लगाया है। यह भी आरोप है कि प्रतिदिन सात सौ से अधिक ट्रकों में लादकर लघु खनिजों का अवैध परिवहन, भंडारण किया जा रहा है और लगभग 20 लाख घन मीटर वाले लघु खनिजों की अवैध बिक्री की जा रही है। याची के अनुसार क्षमता से अधिक भार से लदे ट्रकों के आवागमन से पटपड़गंज पुल और सड़क को काफी नुकसान हुआ है।

दो माह में देनी होगी जांच रिपोर्ट

सुनवाई के दौरान न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी और विशेषज्ञ सदस्य डाॅ. ए. सेंथिल वेल की पीठ ने गत बुधवार को कहा कि याचिका में किए गए प्रथम दृष्टया दावे पर्यावरण से संबंधित सवाल खड़े करते हैं। पीठ ने अपने आदेश में कहा कि याचिका में किए दावों के मद्देनजर तथ्यात्मक स्थिति का पता लगाने और उचित उपचारात्मक कार्रवाई के लिए गठित संयुक्त समिति एक सप्ताह के अंदर मौके पर जाकर आरोपों की सत्यता का पता लगाए और सभी पक्षों को सुनवाई का अवसर देकर दो माह में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करे। एनजीटी ने मामले पर अगली सुनवाई के लिए सात नवंबर 2023 की तारीख तय की है।

किसी भी एजेंसी से जांच को तैयार

योगी राज में प्रदेश की कानून व्यवस्था इतनी कड़ी है कि घरेलू कार्य के लिए किए जाने वाले खनन पर भी पुलिस व प्रशासन धरपकड़ कर लेता है। ऐसे में अवैध खनन सामग्री के ओवरलोड ट्रकों का आवागमन कैसे छिप सकता है। जानबूझ कर मुझे बदनाम करने की साजिश है। किसी भी एजेंसी से इस मामले की जांच के लिए तैयार हूं।

– बृजभूषण शरण सिंह, सांसद

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