Gonda News: ऑपरेशन के बाद तीन प्रसूताओं की मौत
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गोंडा। जिला महिला अस्पताल में ऑपरेशन के बाद फिर तीन प्रसूताओं की हालत बिगड़ गई। आरोप है कि अस्पताल प्रशासन ने जिम्मेदारी से बचने के लिए गंभीर हालत में तीनों प्रसूताओं को रेफर कर दिया। इनमें से एक प्रसूता के तीमारदार मौत के बाद शव रेफर करने का आरोप लगा रहे हैं। वहीं, दो अन्य प्रसूताओं में एक की लखनऊ ले जाते समय और दूसरी की शहर के एक निजी अस्पताल में मौत हो गई।
इटियाथोक निवासी चंदू की पत्नी मन्नू को शुक्रवार को प्रसव पीड़ा होने पर जिला महिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। शनिवार रात सिजेरियन प्रसव से बच्चा हुआ। जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ थे। परिवार वालों ने मिठाइयां बांटीं। शनिवार देर रात अचानक मन्नू की तबीयत बिगड़ गई। नाइट ड्यूटी पर तैनात डॉ. मीनाक्षी मिश्रा ने तुरंत उसे रेफर कर दिया मगर परिजनों का आरोप है कि मन्नू को मौत के बाद रेफर किया गया। तीमारदार रवि मोदी ने बताया कि जिला महिला अस्पताल से पांच मिनट के भीतर एक निजी अस्पताल में ले जाने पर डॉक्टरों ने मन्नू को मृत घोषित कर दिया। आरोप लगाया कि डॉक्टर ने मौत के बाद रेफर किया था।
जिला महिला अस्पताल में शनिवार देर रात ही झंझरी के बहलोलपुर की रहने वाली प्रसूता बिट्टू मिश्रा को सांस लेने में दिक्कत होने लगी। इसके बाद यूरीन रुक गया और फिर सांसें उखड़ने लगीं। उसे भी आनन-फानन रेफर कर दिया। पति नरेंद्र मिश्र के अनुसार लखनऊ ले जाते समय रास्ते में ही बिट्टू की मौत हो गई।
इसी तरह शहर की रहने वाली सुमन पांडेय का बृहस्पतिवार को ऑपरेशन हुआ था। शुक्रवार रात उसे गंभीर हालत में रेफर कर दिया गया। जिसकी एक निजी अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई।
जिला महिला अस्पताल के एक चिकित्सक की मानें तो एक महीने के भीतर 39 प्रसूताओं को गंभीर हालत में रेफर किया गया। इसमें से 17 की इलाज के दौरान मौत होने की सूचना मिली है। लगभग सभी केस में एक बात कॉमन होती है कि सिजेरियन के दौरान किसी को दिक्कत नहीं होती मगर 24 से 48 घंटे के भीतर प्रसूताओं की तबीयत बिगड़ रही है। जो कुछ ही घंटे में गंभीर रूप ले लेती है।
जिला महिला अस्पताल के प्रभारी सीएमएस डॉ. अमित त्रिपाठी का कहना है कि लगातार हो रही प्रसूताओं की मौत का कोई कारण नहीं पता चल पा रहा है। पोस्टमार्टम में भी कोई कारण नहीं निकला। ऑपरेशन के दौरान प्रसूता की मौत होना कोई नई बात नहीं है। निजी अस्पतालों में ऑपरेशन के दौरान चार से 16 प्रतिशत तक मौत हो जाती है। हमारे यहां सिर्फ एक प्रतिशत ही मौत हो रही है।
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