Gonda News: जब घटिया सड़क बनने पर चेयरमैन ने दे दिया था इस्तीफा
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गोंडा के पूर्व चेयरमैन त्रिलोकीनाथ मेहरोत्रा की फाइल फोटो।
गोंडा। आज के जमाने में जहां जिम्मेदार पदों पर बैठे नेताओं की सरपरस्ती में विकास कार्यों में अक्सर मानकों की धज्जियां उड़ा दी जाती हैं। तमाम आरोप-प्रत्यारोप के बाद भी सत्ता में बैठे नेता और अफसर बेपरवाह बने रहते हैं। मगर पुराने जमाने में ऐसा नहीं था। तब भ्रष्टाचार के छोटे से छोटे आरोप पर भी नेता नैतिकता के आधार पर पद तक छोड़ देते थे। कुछ ऐसा ही हुआ था जब 57 साल पहले जब गोंडा नगर पालिका परिषद के तत्कालीन चेयरमैन त्रिलोकीनाथ मेहरोत्रा ने एक मोहल्ले की सड़क का मानकविहीन घटिया निर्माण होने पर अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। तब चेयरमैन की उचित मांग पर जिला प्रशासन को झुकना पड़ा और कार्य करा रहे ठेकेदार को पूरी सड़क दोबारा बनवानी पड़ी थी। यही नहीं चेयरमैन ने स्वयं चुपचाप बैलगाड़ी पर जाकर चुंगी टैक्स में भ्रष्टाचार भी पकड़ा था।
मामला साल 1966 का है। तब गोंडा जिला मुख्यालय की नगर पालिका परिषद में कांग्रेस नेता त्रिलोकी नाथ मेहरोत्रा चेयरमैन चुने गए। हालांकि तब विकास कार्यों में पारदर्शिता और ईमानदारी का पूरा ख्याल रखा जाता था और सड़कों की गुणवत्ता खराब न हो इसलिए तत्कालीन चेयरमैन त्रिलोकीनाथ खुद अपने सामने ही गुणवत्तायुक्त सामग्री से निर्माण कराते थे। नागरिकों को आवागमन की सुविधा के लिए सड़कों का निर्माण शुरू कराया गया था। इसी के तहत पटेल नगर मोहल्ले के घोसियाना में भी पक्की सड़क बन रही थी। मगर इसी बीच बरेली में रहने वाली चेयरमैन की बहन का निधन हो गया और इसकी सूचना पाते ही वह बरेली चले गए। कई दिन बाद जब वह लौटकर गोंडा आए तो सड़क का निर्माण पूरा हो चुका था।
सड़क का लोकार्पण भी कर दिया गया मगर महीने भर में ही सड़क में दरार आ गई। इसकी शिकायत मोहल्ले के लोगों व सभासद ने तत्कालीन प्रशासनिक अफसरों से की मगर ठेकेदार प्रभावशाली था। जिला प्रशासन पर भी उसने दबाव बना रखा था, इसलिए कोई सुनवाई नहीं हुई। चेयरमैन को जब इसकी सूचना मिली तो उन्होंने भी सड़क का दोबारा निर्माण कराने की मांग की मगर अधिकारियों ने मना कर दिया। इससे आहत चेयरमैन त्रिलोकीनाथ ने नैतिकता के आधार पर पद से इस्तीफा दे दिया। चूंकि नगर पालिका के सभी सभासद चेयरमैन के साथ खड़े हो गए थे इसलिए अंतत: जिला प्रशासन को झुकना पड़ा और ठेकेदार को दोबारा सड़क बनवानी पड़ी थी। इसके बाद नगर में उनके कार्यकाल में गुणवत्ता के साथ जो भी विकास कार्य हुए उनकी मिसाल आज भी दी जाती है।
पूर्व चेयरमैन स्व. त्रिलोकीनाथ मेहरोत्रा के पुत्र संदीप मेहरोत्रा बताते हैं कि उस दौर में नगर पालिका की आय का प्रमुख जरिया चुंगी थी जो माल लादकर आने वाली बैलगाड़ियों से शुल्क के रूप में वसूल की जाती थी। मगर इसमें भी भ्रष्टाचार की जड़ों ने पैठ बनानी शुरू कर दी थी। मामले की शिकायत तत्कालीन चेयरमैन तक पहुंची तो वह स्वयं कंबल ओढ़कर एक किसान के साथ बैलगाड़ी पर सवार होकर गए। उनकी बैलगाड़ी जब चुंगी वसूलने के लिए लगे नगर पालिका के कर्मचारी के पास पहुंची तो उसने पैसे तो ले लिए मगर रसीद नहीं काटी। तब उन्होंने कुछ नहीं कहा बल्कि दूसरे दिन नगर पालिका बोर्ड की बैठक बुलाई गई और भरे सदन में चेयरमैन ने सभी सभासदों को इसकी जानकारी दी। सदन के निर्णय पर चुंगी लेने वाले कर्मचारी से पूछा गया तो वह मुकर गया लेकिन जब चेयरमैन ने बताया कि कंबल ओढ़े वह किसान कोई और नहीं वह खुद थे, तो उसके हाथ-पांव फूल गए। तब भरी सभा में कर्मचारी ने माफी मांगी और दोबारा ऐसा न करने की शपथ ली।
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