Gonda News: छावनी बना परसा गोड़री, सरयू नहर की खोदाई शुरू
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गोंडा के परसा गोंड़री शिवशंकरपुरवा में बृहस्पतिवार को छप्पर हटवाती पुलिस।
सिंचाई विभाग ने आंदोलनरत किसानों को दिया भरोसा, खेत से पंडाल को हटाया
न्याय की आस में 13 वर्ष से संघर्ष कर रहे किसानों ने नम आंखों से पीछे खींचे पांव
संवाद न्यूज एजेंसी
बालपुर (गोंडा)। बहुचर्चित सरयू नहर खंड-प्रथम की खोदाई का काम परसा गोड़री में किसानों और प्रशासन के बीच समझौता होने के बाद बृहस्पतिवार को पूरा हो गया। भूमि अधिग्रहण का विरोध कर रहे किसानों ने आंदोलन से पैर पीछे जरूर खींचे लेकिन उनकी आंखें नम दिखीं। फिलहाल समाधान के लिए न्याय के संघर्ष को किसानों ने छोड़ दिया। मंडलायुक्त योगेश्वर राम मिश्र ने मामले में तत्परता बरतते हुए डीएम और एसपी को अतिशीघ्र निस्तारण के निर्देश दिये। जिलाधिकारी नेहा शर्मा से बात होने पर किसान राजी हो गए, अब प्रशासन से उनको उम्मीदें हैं। पुलिस कप्तान आकाश तोमर अपने अधीनस्थों के साथ पूरी मुस्तैदी से मौके पर डटे रहे।
नहर खोदाई के लिए एक दर्जन से अधिक जेसीबी और मंडल के चारों जनपदों के करीब 500 से अधिक की संख्या में पुलिस के जवान एकत्रित हुए। बृहस्पतिवार की सुबह छावनी में तब्दील हो चुके परसा गोड़री के शिवशंकर पुरवा में हर तरफ खाकीधारी पुलिसवाले ही दिखाई पड़ रहे थे। भारी संख्या पुलिस बल देखकर किसान सहम गए और वार्ता के लिए राजी हो गए। विरोध तो 13 साल से चल रहा है कि लेकिन बीते 30 माह से किसान गांव में पंडाल लगाकर धरना दे रहे थे। मुआवजे को लेकर चल रहे आंदोलन की वजह से नहर की खोदाई नहीं हो पाई थी। किसानों से समझौता करने के लिये अपर जिलाधिकारी सुरेश सोनी, नगर मजिस्ट्रेट अर्पित गुप्त व अधिशासी अभियंता (सिंचाई) सतीश कुमार, उपजिलाधिकारी हीरालाल गुप्त, प्रभारी निरीक्षक चितवन कुमार गांव पहुंचे।
किसानों से वार्ता करके हल निकाल लिया है। वार्ता के बाद नहर की खुदाई का कार्य शुरू हो गया। धरने की अगुवाई कर रहे किसान कमलेश कुमार शुक्ल ने बताया कि अभी मिल कुछ नहीं है, लेकिन अधिग्रहीत भूमि के बदले में दूसरे स्थान पर दोगुनी जमीन और तीन प्रमुख किसान परिवारों में सिंचाई विभाग में नौकरी देने की बात हुई है। उन्होंने बताया कि जिलाधिकारी से भी हम लोगों की बात हो गई है। वहीं धरनास्थल पर बैठी महिलाएं जोर-जोर रोने चीखने लगीं। परिवार के सदस्यों ने उन्हें समझाकर धरने से उठाया। इस दौरान खण्ड विकास अधिकारी राजेंद्र यादव, चौकी प्रभारी विनय पांडेय, गिरजेश पटेल, पूरे सर्किल के लेखपाल व कानूनगो आदि रहे।
13 साल पुराने विवाद का पटाक्षेप, 47 गावों के 20 हजार किसानों पाएंगे पानी
जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने बताया कि 13 साल पुराने विवाद का पटाक्षेप हो गया है। इससे 47 गावों के 20 हजार किसानों के लिए नहर का कार्य पूरा हो सकेगा। बताया तहसील करनैलगंज के ग्राम परसा गोड़री में सरयू नहर परियोजना से जुड़ी धनईपट्टी राजवाहा के निर्माण के लिए वर्ष 2010 में अधिग्रहीत की गई 3.09 एकड़ (1.249 हे.) भूमि पर विभाग को कब्जा प्राप्त न होने के कारण नहर के गैप्स को पूर्ण नहीं किया जा सका था। शासन स्तर के साथ ही हाईकोर्ट से भी कार्य पूर्ण कराने का आदेश था। जिलाधिकारी ने बताया कि मामला संज्ञान मेें आने पर प्रभावित किसानों से विभाग की वार्ता की गई। जिससे बृहस्पतिवार को 460 मीटर अवशेष गैप्स की खोदाई का कार्य कराकर कार्य पूर्ण करा दिया गया है। इससे 47 ग्रामों की लगभग 7000 हेक्टेअर भूमि पर सिंचाई की सुविधा मिल सकेगी।
धरना देते रहे किसान, फंसी रही किसानों की नहर
सरयू नहर खंड प्रथम परसा गोड़री से धनई पट्टी रजबहवा तक जाने वाली नहर परियोजना की खोदाई का काम वर्ष 2003 में शुरू हुआ। 22 किलोमीटर लंबी नहर का बजट वर्ष 2003 में तो 78 करोड़ था। नहर की लागत बढ़ी और परसागोड़री-धनईपट्टी नहर का गैप पूरा नहीं हो पाया। हालांकि, विभाग ने वर्ष 2005 में ही नहर को कागज में पूर्ण करके 55 लाख का फर्जी भुगतान भी ले लिया था। वर्ष 2012 में शासन ने पूरे प्रकरण को संज्ञान में लेकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति की। वर्ष 2017 में सिंचाई विभाग के तत्कालीन अधिशासी अभियंता सहित चार लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करके तीन गुना रिकवरी का आदेश हो गया। परसा गोड़री व धानी धनखर, सालपुर के किसानों को बिना नोटिस दिए ही विभाग ने नियम ताक पर रख कर उनकी जमीनों का अधिग्रहण भी कर लिया। मसले पर वर्ष 2018-19 में शुरू हुआ किसानों का धरना करीब 10 माह तक चला। 10 माह बाद उपजिलाधिकारी करनैलगंज के आश्वासन पर किसानों ने धरना समाप्त किया। वर्ष 2019-20 में जब विभाग बिना मुआवजा दिए जबरदस्ती नहर खोदने की तैयारी करने लगा तो परसा गोड़री के किसान पुन: धरने पर बैठ गये। इसके बाद अक्तूबर 2020 से किसानों का धरना फिर शुरू हुआ, जो चलता ही रहा। इसका असर यह रहा कि 22 किलोमीटर मुख्य नहर व इससे निकलने वाली 55 किलोमीटर की माइनर बनकर तैयार है। केवल परसा गोड़री में छह सौ मीटर व धानी धनखर, सालपुर में पौने दो किलोमीटर का विवाद है। जहां दोनों स्थान पर किसान खेत में पंडाल लगाकर धरना-प्रदर्शन कर रहे थे।
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