Gonda News: 56 थारु गांवों को विकसित करेगा दीनदयाल संस्थान
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गोंडा। नानाजी देशमुख के मॉडल ग्राम का सपना साकार करने के लिए जयप्रभा ग्राम की तर्ज पर पं. दीनदयाल उपाध्याय शोध संस्थान की ओर से थारु गांवों में विकास के विभिन्न कार्यक्रम चलाए जाएंगे। सरकार के सहयोग से यहां स्वरोजगार व खेलों के विकास पर जोर दिया जाएगा। 22 मई को महाराणा प्रताप की जयंती से मॉडल गांवों में विशेष कार्यक्रमों की कवायद शुरू होगी।
भारत नेपाल सीमा पर शिवालिक पर्वत शृंखला की तलहटी में बसे 56 गांवों में थारु जनजाति के लोग निवास करते हैं। दीनदयाल शोध संस्थान की ओर से यहां थारु विकास केंद्र की स्थापना कर 36 साल से इनके सामुदायिक विकास के लिए कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।
संस्थान के सचिव रामकृष्ण तिवारी ने बताया कि राष्ट्र ऋषि नानाजी देशमुख ने करीब चार दशक पहले ऐसे गांव बनाने का सपना देेेखा था, जहां शहरों की तरह हर सुविधाएं व रोजगार के साधन उपलब्ध हों। इसी को लेकर बलरामपुर रोड स्थित महाराजगंज में 25 नवंबर 1978 को मॉडल गांव जयप्रभा ग्राम की स्थापना की गई थी। जहां एक ही परिसर में विद्यालय, बैंक, आईटीआई, आरा मिल, आयुर्वेदिक दवा व च्यवनप्राश बनाने का केंद्र, औषधीय वनस्पतियों की खेती व रोजगार प्रशिक्षण केंद्र बना है। इसी तर्ज पर बलरामपुर के पचपेड़वा व गैसड़ी ब्लॉक के थारु गांवों का विकास किया जाएगा।
दमखम थारु जनजाति के लोग मेहनती तथा शारीरिक रूप से मजबूत होते हैं। जिससे इन्हें इनकी रुचि के अनुसार खेलों से जोड़कर राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी तैयार किए जाएंगे। सचिव रामकृष्ण तिवारी ने बताया कि इनके विकास के लिए पचपेड़वा के इमलिया कोडर में वर्ष 1988 में थारु विकास केंद्र की स्थापना की गई है। यहां स्टेडियम की व्यवस्था है। थारु युवाओं को उच्च शिक्षा देने के लिए 2017 में इग्नू अध्ययन केंद्र की स्थापना की गई थी। पढ़ाई के साथ ही खेलों को बढ़ावा देने के लिए थारु बहुल गांवों में खेल प्रशिक्षक नियुक्त किए जाएंगे।
नेपाल सीमा के गांवों में बसी थारु जनजाति की करीब 40 हजार आबादी पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की विशेष नजर है। इसी के चलते यहां के विकास के साथ ही सरकारी योजनाएं तेजी से लोगों तक पहुंच रही हैं। थारुओं की अनूठी परंपरा सभी को अपनी ओर आकर्षित करती है। इसमें लोकगीत, समूह नृत्य व पारंपरिक वाद्य यंत्रों का खास महत्व है। जिसे बढ़ावा देने की तैयारी भी है।
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