Gonda News: आधार नहीं बनवा सके परिषदीय विद्यालयों के 15 हजार बच्चे
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गोंडा। परिषदीय विद्यालयों में बच्चों को स्मार्टनेस देने की तैयारी चल रही है। यहां तक डिजिटलाइजेशन व्यवस्था के तहत ब्लॉक व न्याय पंचायत स्तर तक आधार बनाने के लिए 53 आधार मशीनों के इंतजाम कर दिए गए। मगर 15 हजार से अधिक नौनिहालों के पास अपना आधार कार्ड नहीं है। इसके चलते चालित योजनाओं से वंचित रह गए हैं।
परिषदीय विद्यालयों में पढ़ रहे बच्चों की समस्या को देखते हुए 18 नवंबर को ”बिना यूनीफार्म 59 हजार बच्चों को बीत गया आधा सत्र” शीर्षक से खबर प्रकाशित की गई थी।
ये आंकड़े परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों को लेकर अफसरों की गंभीरता पर सवाल खड़े कर रहे हैं। अब तक जहां हजारों बच्चों को डीबीटी का लाभ नहीं दिया गया है। वहीं जिस कारण से लाभ नहीं दिया गया है, उसका भी खुलासा हुआ है।
बीएसए ने बताया कि 15 हजार बच्चे लाभ लेने के लिए अपना आधार कार्ड नहीं बनवा सके हैं। जबकि ब्लॉक व न्याय पंचायत स्तर पर परिषदीय विद्यालयों के बच्चों का आधार कार्ड बनाने के लिए 22 आधार किट के अलावा श्रीट्रान इंडिया की 33 मशीनें लगाई गई हैं।
मगर, आधार कार्ड बनाने के लिए आधार व जन्म प्रमाण पत्र नहीं जारी किए जा सके हैं। आधार के लिए दोनों में कोई एक होना जरूरी है। आधा सत्र बीतने के बाद तक हजारों की संख्या में बच्चे बिना यूनीफार्म विद्यालय आने पर मजबूर हैं।
हर महीने अधिकारियों की समीक्षा बैठक के साथ ही विद्यालयों में निरीक्षण होते हैं। इसमें बीईओ, बीएसए समेत प्रशासन के अफसर शामिल हैं। बीएसए प्रेमचंद यादव ने बताया कि आधार बनाने के लिए जन्म या निवास प्रमाण पत्र होना अनिवार्य कर दिया गया है। अभिभावकों की शिकायत रहती है कि उन्हें तहसीलों का चक्कर लगाने पर मजबूर किया जा रहा है। इसको लेकर बीएसए स्तर से लगातार अधिकारियों को अवगत कराने के दावे किए गए हैं। वहीं अफसरों ने वंचित बच्चों के आधार कार्ड बनवाने के काम को न तो गंभीरता से लिया और न ही समस्याएं दूर कराईं।
परिषदीय व कस्तूरबा में अभिभावक को होता है भुगतान
जिला समन्वयक प्रेमशंकर मिश्र ने बताया कि परिषदीय विद्यालय के लिए 1200 तो कस्तूरबा विद्यालय को छह सौ रुपये का डीबीटी के माध्यम से भुगतान किया जाता है। दावा किया कि कस्तूरबा गांधी विद्यालय में पढ़ने वाले 17 सौ बच्चों को यूनीफार्म के लिए भुगतान किया जा चुका है। जल्द ही अन्य को भुगतान किए जाएंगे।
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