Gonda News: 1,235 नवजातों का जन्म-प्रमाणपत्र फंसा, भटक रहे तीमारदार
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गोंडा। सरकार भले ही प्रसूता के डिस्चार्ज होने के पहले ही नवजात का जन्म प्रमाणपत्र देने को लेकर सख्त हो, लेकिन महिला अस्पताल में जन्म प्रमाणपत्र के लिए परिजनों को महीनों तक भटकना पड़ रहा है। सीआरएस पोर्टल व मंत्रा एप के फेर में 1,235 नवजात बच्चों का जन्म प्रमाणपत्र लंबित है। 21 दिन बीतने के बाद प्रमाणपत्र बनवाने के लिए कचहरी से शपथपत्र बनवाकर जमा करना पड़ता है। ऐसे परिजन पहले अस्पताल तो बाद में कचहरी का चक्कर काटने को मजबूर हैं।
विगत 20 जुलाई को वजीरगंज की अनभुला निवासी रेखा का प्रसव महिला अस्पताल में हुआ। लेकिन अभी तक बच्चे का जन्म प्रमाणपत्र नहीं जारी हुआ। तीमारदार अस्पताल से लेकर कचहरी तक का चक्कर काट रहे हैं, लेकिन जिम्मेदार पोर्टल की समस्या बताकर तारीख पर तारीख दे रहे हैं। वहीं, रामपुर खरहटा निवासी रेनू का प्रसव 25 अगस्त को हुआ। लेकिन कई बार चक्कर काटने के बावजूद बच्चे का जन्म प्रमाणपत्र नहीं बन सका है। इसी प्रकार बनवरिया की कमलेश सहित 1,235 प्रसूताओं के तीमारदार नवजात के जन्म प्रमाणपत्र के लिए भटक रहे हैं। लेकिन इनकी कहीं पर सुनवाई नहीं हो रही है।
ब्योरा अपलोड करने में समस्या
जन्म-मृत्यु पंजीकरण पटल सहायक राजू गुप्ता का कहना है कि पोर्टल संबंधी समस्या होने के कारण प्रमाणपत्र निर्गत नहीं हो पा रहा है। जिस वार्ड में प्रसव होता है, वहां के स्टाफ की ओर से मंत्रा एप (मां नवजात ट्रेकिंग सिस्टम एप) पर ब्योरा फीड करना होता है। उसके बाद उनके पास सीआरएस (सिविल रजिस्ट्रेशन सिस्टम) पोर्टल पर आता है। बिना मंत्रा पर फीडिंग के जन्म प्रमाणपत्र जारी नहीं किया जा सकता। मंत्रा पर फीडिंग न होने की शिकायत सीएमएस से की गई है। वहीं, कुछ तकनीकी खामियों के कारण भी मंत्रा पर फीड ब्योरा सीएआएस पोर्टल पर नहीं प्रदर्शित होता है।
नोडल अधिकारी नामित
मंत्रा एप पर फीडिंग व जन्मप्रमाण पत्र जारी होने की निगरानी के लिए वरिष्ठ परामर्शदाता डॉ. सुषमा सिंह को बतौर नोडल अधिकारी नामित किया गया है। कहां से लापरवाही हो रही है, इसकी जांच कर समस्या का समाधान जल्द कराया जाएगा।
– डॉ. रक्षारानी चतुर्वेदी, सीएमएस महिला अस्पताल
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