Gonda News: 85 जर्जर स्कूलों के निर्माण प्रभारी, ग्राम प्रधानों व बीईओ से होगी वसूली
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गोंडा। निर्माण के बाद 15 साल से कम समय में जर्जर हुए प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों की इमारतें अब जांच के दायरे में आ गईं हैं। इसके निर्माण प्रभारी प्रधानाध्यापक, तत्कालीन ग्राम प्रधान और बीईओ के खिलाफ एफआईआर व वसूली की कार्रवाई की जा सकती है। विभागीय सूत्रों का कहना है कि बीईओ स्तर से ऐसे विद्यालयों की सूची देने में लापरवाही बरती जा रही है। एक सप्ताह बीतने के बाद भी बीईओ स्तर से विभाग को सूची उपलब्ध नहीं कराई गई है।
जिले के कुल 406 उच्च व प्राथमिक विद्यालयों को निष्प्रोज्य घोषित किया गया है। इनके ध्वस्तीकरण के लिए कार्रवाई चल रही है। अधिकारियों के मुताबिक, पहले चरण में कुल 255 विद्यालयों को निष्प्रोज्य घोषित किया गया। जबकि दूसरे चरण में 151 विद्यालय शामिल किए गए। ऐसे में पहले चरण की तीन चरणों में बोली लगाने के लिए कोई आगे नहीं आया। जबकि दूसरे चरण में निष्प्रोज्य भवनों की पहली बोली में कोई शामिल नहीं हुआ है। जिसके चलते इन विद्यालयों को लेकर नए विद्यालय प्रबंध समिति स्तर से निर्णय लिया जा सकता है। इसके बाद ध्वस्तीकरण कराया जाएगा।
वहीं, इन इमारतों में विभाग ने 15 साल से कम समय में जर्जर होने वाली कुल 85 विद्यालयों की इमारतें शामिल की हैं। करीब एक सप्ताह पहले इसके निर्माण प्रभारी प्रधानाध्यपक, तत्कालीन ग्राम प्रधान और बीईओ की सूचनाएं तलब की गईं। मगर खंड शिक्षाधिकारियों ने कोई सूचना मुहैया नहीं कराई। सूची मिलने के बाद एफआईआर के साथ ही वसूली की कार्रवाई की जा सकती है।
बोली नहीं लगने के चलते विद्यालय प्रबंध समिति ही जर्जर स्कूलों की इमारत का ध्वस्तीकरण कराएगी। इसके लिए विद्यालय ग्रांट से पैसे खर्च किए जाएंगे। ध्वस्तीकरण के बाद निकलने वाला मलबा विद्यालय के निर्माण कार्यों में इस्तेमाल किया जाएगा।
151 जर्जर विद्यालयों के मलबे के लिए 11.61 करोड़ और 255 जर्जर विद्यालयों के मलबे के लिए 39.63 करोड़ रुपये को मिलाकर कुल 51 करोड़ रुपये का आंकलन किया गया है। अधिकारियों का कहना है कि मलबे की कीमत का आंकलन अधिक होने के चलते ध्वस्तीकरण की कार्रवाई नहीं हो पाई है।
बीएसए प्रेमचंद यादव ने बताया कि खंड शिक्षाधिकारियों के साथ बैठक की गई है। इस दौरान जर्जर इमारतों की आंकलन कीमत अधिक बताई गई है। इसको लेकर उच्चाधिकारियों के सामने समस्याएं रखी जाएंगी। वहीं, सूची देने में लापरवाही बरतने को लेकर खंड शिक्षाधिकारियों से जवाब-तलब किया गया है।
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