Gonda News: उफनाई सरयू में समाई एक हजार बीघे जमीन

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नवाबगंज के साखीपुर बड़ी माझा में जमीन की कटान करती सरयू नदी। – संवाद

गोंडा। सरयू नदी का घटता जलस्तर विकराल रूप ले रहा है। करनैलगंज में एक हजार बीघा से अधिक जमीन कटान की भेंट चढ़ चुकी है। जानकारों का मानना है कि नदी का घटता हुआ जलस्तर जमीन की कटान तेजी से करता है। रविवार को सरयू नदी का जलस्तर खतरे के निशान से 60 सेंटीमीटर नीचे हो गया है। उधर, बाढ़ के चलते माझा क्षेत्र के लोगों की धड़कनें तेज हो गईं हैं। पशुओं के लिए लोगों ने खेत में चरी आदि की बोआई कर रखी थी। लगातार खेतों में कटान से पशुओं के चारे का संकट उत्पन्न हो गया है।

करनैलगंज तहसील क्षेत्र में 24 घंटे में तेजी से घटे जलस्तर ने कटान की हद पार कर दी है। छह गांवों के सामने बांध और नदी के बीच खाली पड़ी एक हजार बीघे से अधिक कृषि योग्य भूमि कटकर सरयू की धारा में समा गई। शुक्रवार को नदी खतरे के निशान से मात्र दो सेंटीमीटर नीचे रह गई थी। इसके बाद जलस्तर में गिरावट होने लगी। इससे रविवार तक 60 सेंटीमीटर जलस्तर घट गया। जानकारों की मानें तो सरयू अन्य नदियों की अपेक्षा जलस्तर घटने पर कटान तेज करती है। ऐसे में जब तेजी से जलस्तर घटने लगा तो तेजी से कटान भी हुई।

ग्राम बांसगांव, रायपुर माझा, चंदापुर किटोली, पारा, बेहटा और नकहारा के सामने बांध और नदी के बीच चंद कदम की दूरी शेष बची थी। अब जलस्तर घटने से खाली पड़ी जमीन में कटान शुरू हो गई। अनुमान के मुताबिक एक हजार बीघे से अधिक भूमि कटकर नदी में समा गई है। पारा व बेहटा में उन जमीनों पर भी पानी भर गया, जिसमें सब्जी की फसल लगी हुई थी। करेला व परवल की फसल जलमग्न हुई और बाद में कटान ने खेत को नदी में समाहित कर दिया।

बांध पर तैनात अवर अभियंता रवि वर्मा ने बताया कि नदी का जलस्तर तेजी से घट रहा है। सरयू नदी रविवार को खतरे के निशान से 60 सेंटीमीटर नीचे पहुंच गई। वहीं, रविवार को 2.36 लाख क्यूसेक पानी नदी में छोड़ा गया है। अभी किसी प्रकार का कोई खतरा नहीं है।

नवाबगंज क्षेत्र में बाढ़ प्रभावित व सरयू के किनारे बसे गांवों में कटान का खतरा बढ़ गया है। तेजी से बढ़े जलस्तर से जहां पलायन का भय सता रहा था। वहीं, अब तेजी से घट रहे जलस्तर से कटान का खतरा बढ़ गया है। दत्तनगर के ढेमवा पुल से पाड़ी माझा होते हुए साखीपुर के बाड़ी माझा तक कटान की ज्यादा आशंका बनी हुई है। पूर्व में यहां कटान काफी हुई है। वहीं, ढेमवा पुल का एप्रोच मार्ग भी कटान की जद में आ गया है। पुल क्षतिग्रस्त होने से क्षेत्र के दर्जनों गांवों के लोगों के समक्ष रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो जाएगा। ब्यौंदा माझा के प्रधान केशवराम का कहना है कि कृषि योग्य भूमि को नुकसान हो रहा है। पिछली बार की बाढ़ में भी कटान से नुकसान हुआ था। दत्तनगर के प्रधान राजाराम यादव ने कहा कि मार्ग की मरम्मत हो जाती तो यह स्थिति न आती।

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