Gonda News: 55 गैर सहायता प्राप्त स्कूलों के अनुदान का रास्ता खुला

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गोंडा। प्रदेश शासन की ओर से मंगलवार को जारी एक आदेश से जिले के 55 गैर सहायता प्राप्त स्कूलों को अनुदान मिलने का रास्ता खुल गया है। जिले के गैर सहायता प्राप्त स्कूल 15 साल से अनुदान की मांग कर रहे हैं। अपर मुख्य सचिव (बेसिक शिक्षा) दीपक कुमार ने आजमगढ़ के एक स्कूल के संबंध में हाईकोर्ट से हुए आदेश के क्रम में उस स्कूल के शिक्षकों को वेतन देने का आदेश दिया है। इससे जिले के स्कूलों के शिक्षकों की उम्मीदें बढ़ गईं हैं।

जिले में 28 स्कूलों को सरकार से अनुदान मिल रहा है। इनमें कक्षा छह से आठ तक की पढ़ाई होती है। जिसके शिक्षकों को शासन के मद से वेतन तो मिलता ही है, स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों को एमडीएम (मध्याह्न भोजन योजना) व डीबीटी से सिर्फ यूनीफार्म के लिए 600 रुपये भी मिलते हैं। कक्षा आठ तक की शिक्षा मुफ्त दी जाती है। अनुदान नहीं मिलने से 55 स्कूलों में यह लाभ नहीं मिल पा रहा है। इसके लिए इन स्कूलों की ओर से हाईकोर्ट के साथ ही सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लड़ी गई।

साल 2006 में जिले के आठ प्राथमिक विद्यालयों को अनुदान दिए जाने का आदेश अलग से हुआ। ये उन्हीं 28 लघुत्तर माध्यमिक विद्यालयों के प्राइमरी अनुभाग हैं। इसमें प्रदेश के कई स्कूल शामिल थे। फिर अनुदान वापस लिए जाने की कार्रवाई भी शुरू हो गई। इसके अलावा इसमें शामिल 55 अन्य स्कूलों को अनुदान दिए जाने पर अभी तक विचार नहीं किया गया। आजमगढ़ जिले के एक स्कूल के मामले में शासन से आदेश जारी होने पर जिले के स्कूलों के अनुदान का भी रास्ता साफ हो गया है। यह अलग बात है कि स्कूलों को अनुदान के लिए अलग से प्रयास करना होगा।

जिले में 28 सहायता प्राप्त स्कूलों की जांच शासन स्तर से चल रही है। विशेष जांच दल (एसआईटी) की जांच में सत्यापन की कमी सामने आई है। जिसके बारे में प्रक्रिया चल रही है। इससे कई शिक्षकों की सेवा पर संकट बना हुआ है। फिलहाल एसआईटी की जांच रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई अभी शुरू नहीं हुई है।

उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष कृष्ण प्रताप सिंह का कहना है कि अनुदान से वंचित और पात्रता वाले स्कूलों को सहायता देने का फैसला सराहनीय है। इससे शिक्षा अधिकार अधिनियम को लागू करने में सहूलियत मिलेगी। पात्र स्कूलों को अनुदान मिलना ही चाहिए।

बीएसए अखिलेश प्रताप सिंह का कहना है कि स्कूलों को अनुदान में लेने की प्रक्रिया शासन स्तर से होती है। जिला स्तर पर कोई निर्णय नहीं होते हैं। सहायता प्राप्त स्कूलों की समय- समय पर शासन स्तर से निर्देश पर जांच की जाती है।

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