Gonda News: पदोन्न्ति छोड़ें या तबादले का मोह, तीन हजार शिक्षक सांसत में
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गोंडा। अंतर जनपदीय व पारस्परिक तबादले की प्रक्रिया आठ जून से शुरू होने से शिक्षक सकते में हैं। पदोन्नति प्रक्रिया के बीच तबादले से उनकी मुश्किलें बढ़ गईं हैं। सात साल से पदोन्नति का इंतजार कर रहे तीन हजार शिक्षक असमंजस में हैं कि वह क्या करें। पदोन्नति छोड़कर तबादला लेते हैं तो दूसरे जिले में उन्हें पदोन्नति के लिए लंबे समय तक इंतजार करना होगा। पदोन्नति लेते हैं तो अपने गृह जनपद जाने के अवसर का इंतजार करना होगा। विभाग ने दोनों प्रक्रिया शुरू तो कर दी हैं मगर इसके पूरे होने पर संदेह भी बना हुआ है।
शासन बीते तीन माह से शिक्षकों की ज्येष्ठता सूची तैयार करा रहा है। जिले की ज्येष्ठता सूची में तीन हजार शिक्षक शामिल किए गए हैं, जिसमें विभाग मान रहा है कि 2200 लोगों की पदोन्नति संभव है। फिलहाल पदोन्नति प्रक्रिया अभी अटकी है। इसी दौरान आठ जून से तबादले के लिए आवेदन मांगे जाने का आदेश आ गया। इससे पदोन्नति सूची में शामिल शिक्षकों की समस्या बढ़ गई है। इस दौरान अगर वह तबादला लेते हैं तो जिस जिले में कार्यभार ग्रहण करेंगे वहां की ज्येष्ठता सूची में सबसे नीचे हो जाएंगे। इससे वहां पदोन्नति के लिए उन्हें फिर से इंतजार करना होगा। इस स्थिति में शिक्षक तय नहीं कर पा रहे हैं कि वह क्या करें? ज्यादातर शिक्षक पदोन्नति की स्थिति साफ होने तक तबादले से दूरी बना सकते हैं।
शासन से तय हुए अंतर जनपदीय तबादले में जिले के 800 शिक्षकों को अवसर मिल सकता है। बीते 2019-20 के तबादले में 1200 शिक्षकों को मौका मिला था। उस समय हुए स्थानांतरण से 200 सहायक अध्यापक चूक गए थे। कई कारणों से उनका तबादला नहीं हो सका था। वहीं, 36 शिक्षक तो ऐसे हैं जिनका तबादला तो मांगे गए जनपद में हो गया था मगर उन्हें कार्यमुक्त नहीं किया गया। कई शिक्षकों ने आवेदन के समय गलती से ग्रामीण क्षेत्र के स्थान पर नगर क्षेत्र दर्ज कर दिया था। जिसमें संशोधन नहीं हो पाया था। ऐसे में उनकी उम्मीद इस बार पूरी होना तय माना जा रहा है। उनकी सेवाएं भी अधिक समय की हैं।
बीएसए अखिलेश प्रताप सिंह ने बताया कि शासन से पदोन्नति की प्रक्रिया चल रही है। इस बारे में जो निर्देश मिलेंगे, उनके आधार पर निर्णय होगा। आठ जून से तबादले के लिए आवेदन होने हैं। ऐसे में शिक्षकों के पास पर्याप्त समय है।
प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष विनय तिवारी का कहना है कि शासन को तबादले की प्रक्रिया से पहले पदोन्नति का कार्य पूरा कर लेना चाहिए। जिससे शिक्षकों का नुकसान न हो। इस तरह एक प्रक्रिया जारी रखते हुए दूसरी प्रक्रिया शुरू करना उचित नहीं है।
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