Gonda News: ग्रहों को साधने के साथ पर्यावरण संरक्षण की भी तैयारी
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गोंडा। पौधों से जीवन मिलता है। पर्यावरण संरक्षण में भी पौधों की अहम भूमिका है। पौधों से ग्रहों को भी साधा जा सकता है और उनकी चाल भी सुधर सकती है। इसके लिए वन विभाग भी पहल कर चुका है। जिला प्रभागीय वनाधिकारी कार्यालय परिसर में नवग्रह व नक्षत्र वाटिका की स्थापना हुई थी। यह अलग बात है कि अब वह वाटिका देखरेख के अभाव में अपना अस्तित्व खो चुकी है। अब एक बार फिर वन विभाग विश्व पर्यावरण दिवस पर लोगों को आस्था से जोड़कर पर्यावरण संरक्षण पर जोर दे रहा है। नवग्रह व नक्षत्र वाटिका को फिर से संवारने व हरा-भरा करने की भी तैयारी है।वहीं, नदियों की सफाई की भी पहल हो रही है।
मोकलपुर निवासी सेवानिवृत्त वनाधिकारी गिरधर द्विवेदी कहते हैं कि ग्रहों के साथ ही राशियों के लिए भी पौधे तय हैं। मान्यता है कि ये पौधे हमारे ग्रह और नक्षत्र को अनुकूल परिणाम देते हैं।
परसपुर के नकहा गांव के रहने वाले पंडित हरिओम शास्त्री के मुताबिक स्कंद पुराण में हर व्यक्ति को अपने जीवन में कम से कम सात तरह के पौधे लगाने का उल्लेख है। इनमें पीपल, नीम, बरगद, इमली, कैथा, बेल, आंवला और आम के पौधे लगाने को कहा गया है। पंडित हरिओम शास्त्री ने कहा- विकास के दौर में पेड़ों की कटान हुई है। कोविड काल में लोगों को इसका महत्व समझ में आया था। हलधरमऊ क्षेत्र के निवासी ज्योतिषाचार्य पंडित अतुल शास्त्री कहते हैं कि हमारे धर्मग्रंथों में पेड़ों को लगाने के साथ ही उनकी पूजा का भी विधान है।
नवग्रह वाटिका के पौधे लगाकर भी मन को शांति मिल सकती है। हर ग्रह के लिए पौधे तय हैं। सूर्य ग्रह के लिए मदार (आक), सोम के लिए पलाश (ढाक), मंगल के लिए खैर, बुध के लिए अपामार्ग (लटजीरा), गुरु के लिए पीपल, शुक्र के लिए गूलर, शनि के लिए शमी, राहु के लिए दूब और केतु के लिए कुश पौधे तय हैं। इसी तरह सात भारतीय ऋषियों की कृपा हासिल करने के लिए पौधे लगाए जा सकते हैं। पूर्व वनाधिकारी गिरधर द्विवेदी कहते हैं कि ऋषि कश्यप, अत्रि, भारद्वाज, जमदग्नि, विश्वामित्र, वशिष्ठ और गौतम से संबंधित पौधों से मिलकर सप्तऋषि वन बनते हैं। ये पौधे तुलसी, अगस्त्य, चिड़चिड़ा, दूब, बेल, शमी और धतूरा हैं।
नक्षत्र वाटिका लगवाकर भी लोग जीवन में बदलाव ला सकते हैं। पर्यावरण संरक्षण के लिए यह अच्छी पहल भी होगी। 27 नक्षत्रों का प्रतिनिधित्व करने वाले पेड़ों को एक वृत (सर्किल) में लगाया जाता है। ये नक्षत्र अश्विनी, भरणी, कृत्तिका, रोहिणी, मृगशिरा, आद्रा, पुनर्वसु, पुष्य, आश्लेषा, मेघा, पू. फाल्गुनी, उ. फाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा, मूला, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, श्रावण, धनिष्ठा, शतमिषक, पू. भाद्रपद, उ. भाद्रपद और रेवती हैं। इन नक्षत्रों के लिए क्रमश: कुचिला, आंवला, गूलर, जामुन, खैर, काला तेंदू, बांस, पीपल, नागकेसर, बरगद, ढाक, पाकड़, रीठा, बेल, अर्जुन, कटाई, मौलश्री, चीड़, साल, जलवेतर, कटहल, मदार, छयोकर, कदंब, आम, नीम और महुआ के पेड़ लगाए जाने चाहिए।
मेष राशि वाले आंवला, कुचला व गूलर और वृषभ राशि वाले जामुन, खैर व गूलर के पौधे लगाएं। कर्क के लिए बांस, पीपल व नागकेसर, तुला के लिए बेल, अर्जुन व नागकेसर और मकर के लिए कटहल, नदीर व शमी के पौधे हैं। कुंभ के लिए कदंब, आम व शमी, मीन के लिए नीम, आम व महुआ और सिंह राशि के लिए पिलखन, पलाश व बरगद का पौधा है। कन्या के लिए बेल, पिलखन व जूही, मिथुन के लिए खैर, अगार व बांस, वृश्चिक के लिए सेमल, साल व नागकेसर और धनु राशि के लिए साल, कटहल, रोतांग व पाम के पौधे लगाना चाहिए।
जिला प्रभागीय वनाधिकारी पंकज शुक्ल ने बताया कि पौधरोपण के लिए बड़े स्तर पर अभियान शुरू किया जा रहा है। इसमें लोग हर स्तर से योगदान कर सकते हैं। आस्था से जुड़े पौधे जीवन के लिए जरूरी हैं। अक्सर पूजन-अर्चन में भी इन पौधों की जरूरत पड़ती है। इसके लिए लोगों को आगे आना चाहिए। नवग्रह व नक्षत्र वाटिका को फिर से संवारा जाएगा।
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