Gonda News: जनता को अखरी पांच दिग्गजों की कमी
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गोंडा। निकाय चुनाव में मतदान निपट गया। राजनीतिक दलों के उम्मीदवार मैदान में उतरे और सभी ने जीत के लिए ताकत झोंक दी। गोंडा जनपद के सियासी रणक्षेत्र में बहुतायत नेताओं के बीच राजनीति के धुरंधर रहे पांच सियासी दिग्गजों की कमी इस बार निकाय चुनाव में खूब खली। आम मतदाताओं से लेकर राजनीति से जुड़े लोगों को ये बात अखरती रही। कभी राजनीति के चमकते सितारे रहे ये नेता जो कभी हर चुनाव में अग्रणी भूमिका निभाते थे, अब दुनिया से अलविदा हो चुके हैं। मगर जिले की जनता व प्रशंसक आज भी उनकी कमी महसूस कर रहे हैं। मतदान के दौरान भी इन नेताओं की चर्चा होती रही।
जौनपुर जिले की केराकत तहसील क्षेत्र के दरवेशपुर गांव में जन्मे सत्यदेव सिंह जनसंघ से भाजपा तक पार्टी का झंडा बुलंद करते रहे। 70 के दशक में उन्होंने गोंडा में आकर यहीं अपनी कर्मभूमि बनाई। जनसंघ के जिलाध्यक्ष से लेकर पांच दशक तक सत्यदेव सिंह ने यूपी भाजपा संगठन में अनेक पदों पर रहकर पार्टी को ऊंचाइयों तक पहुंचाया। पार्टी ने उन्हें भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष का भी दायित्व सौंपा था। 1977 में गोंडा और 1991 व 1993 में बलरामपुर से सांसदी का चुनाव जीतकर उन्होंने अपनी राजनीति का लोहा मनवाया था। अंतिम समय में भी वे भाजपा अनुशासन समिति के प्रदेश अध्यक्ष रहे।
सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के बेहद करीबी व पार्टी के मजबूत स्तंभ तरबगंज तहसील के बल्लीपुर निवासी विनोद कुमार उर्फ पंडित सिंह के 14 मई 2021 को असामयिक निधन के बाद कार्यकर्ताओं को आज भी उनकी कमी महसूस हो रही है। लगभग तीन दशक तक राजनीति में समाजवादी पार्टी के अगुवा रहे पंडित सिंह पिछले निकाय चुनाव में काफी सक्रिय थे और तब की सात निकायों में से चार में पार्टी प्रत्याशियों को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी।
साल 1996, 2002 और 2012 में गोंडा से चुनाव जीते पंडित सिंह प्रदेश में चिकित्सा शिक्षा राज्यमंत्री, राजस्व राज्यमंत्री, माध्यमिक शिक्षा राज्यमंत्री और फिर कृषि मंत्री (कैबिनेट) भी बनाए गए। चुनाव के दौरान पार्टी की हर गतिविधि पर पैनी नजर रखते हुए वे रणनीति तय करते थें। उनका यह नारा खूब प्रचलित था- खाता न बही, जौन जनता कहै वहै सही’। 90 के दशक से मुलायम सिंह और उनके बेटे अखिलेश के साथ कदम से कदम मिलाकर समाजवाद का परचम लहराने वाले पंडित सिंह के निधन के बाद गोंडा ही नहीं पूरे देवीपाटन मंडल क्षेत्र में कार्यकर्ताओं को उनकी कमी अखर रही है।
मनकापुर राज परिवार की छत्रछाया में नवाबगंज के नगवा निवासी अत्यंत गरीब परिवार के मात्र साक्षर बाबूलाल की भी किस्मत खूब चमकी और वह राजघराने की कृपा से 1967 में स्वतंत्र पार्टी, 1980, 1985 में कांग्रेस के टिकट पर डिकसिर और 2002 में सपा के टिकट पर मनकापुर से विधायक चुने गए। पूर्व विधायक बाबूलाल पार्टी कार्यकर्ताओं और आम जनता के बीच बेहद लोकप्रिय रहे और नवाबगंज नगर पालिका के चुनाव में भी उनकी सक्रिय भूमिका होती थी। 31 मई 2020 को हृदयाघात से उनके निधन से उनके समर्थकों ने कमी महसूस की।
नवाबगंज निवासी प्रसिद्ध चिकित्सक व पूर्व पालिकाध्यक्ष डॉ. हरिपाल सिंह की बहू और डॉ. अशोक सिंह की पत्नी अंजू सिंह साल 2000, 2007 और 2012 में नवाबगंज नगर पालिका की अध्यक्ष रहीं। वह जिले की कद्दावर महिला नेताओं में शुमार रहीं। मेहनत और समाजसेवा से उन्होंने जिले की राजनीति में अहम स्थान बना लिया था। गरीबों और महिलाओं के बीच खासी लोकप्रिय रहीं अंजू सिंह की सक्रियता से निकाय चुनाव से लेकर विधानसभा और लोकसभा चुनाव में पार्टी और उसके उम्मीदवार को खासा फायदा भी होता था। पांच अगस्त 2020 को कोरोना महामारी ने इस कद्दावर महिला नेता को भी काल के गाल में पहुंचा दिया। बेटी आकांक्षा सिंह मां के सपनों और संकल्पों को पूरा करने के लिए नवाबगंज नगर पालिका अध्यक्ष का चुनाव लड़कर अपनी किस्मत आजमा रहीं हैं।
जिला मुख्यालय के मोहल्ला जिगरगंज निवासी लोकतंत्र सेनानी कमरुद्दीन उर्फ कमर एडवोकेट ने साल 1988 में पहली बार नगर पालिका परिषद गोंडा के अध्यक्ष का चुनाव जीता। इसके बाद साल 2000 और 2012 में उन्होंने जीत का परचम लहराया। उनकी लोकप्रियता का ही आलम था कि साल 2017 में उनकी बेटी उज्मा राशिद को भी भारी जीत मिली। ऐन चुनाव से पहले लंबी बीमारी के चलते 21 मार्च 2023 को उनके निधन से समाजवादियों व समर्थकों को करारा झटका लगा। उनकी बेटी और निवर्तमान पालिका अध्यक्ष उज्मा राशिद पिता की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए एक बार फिर चुनाव मैदान में हैं।
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