Flood: बैराजों से पानी छोड़े जाने से कई जिलों में बाढ़ जैसे हालात, सीतापुर के 35 गांवों में हालात बिगड़े, तस्वीरें

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अवध के कई जिलों में बैराजों का पानी छोड़े जाने से कई गांवों मे बाढ़ के हालात पैदा हो गए हैं। लोगों के घरों में पानी भर जाने से उन्हें बनाने-खाने तक में मुश्किल हो रही है। सीतापुर में 35 गांव बाढ़ की चपेट में हैं और यहां पर हालात बिगड़ते जा रहे हैं।

बैराजों से छोड़े जा रहे लाखों क्यूसेक पानी से सरयू और शारदा नदियां उफान पर हैं। सरयू खतरे के निशान 119 मीटर से 10 सेमी. ऊपर बह रही है। रामपुर मथुरा व रेउसा इलाके में तटवर्ती 35 गांव बाढ़ से प्रभावित हैं। घरों के अंदर पानी भरने से लोगों को रहने व खाने-पीने की समस्या से जूझना पड़ रहा है। उधर, बैराजों से शनिवार को 3 लाख 95 हजार क्यूसेक पानी फिर छोड़ा गया है। यह पानी जिले में पहुंचने पर गांजर के हालात और बिगड़ सकते हैं।

ब्लॉक रामपुर मथुरा क्षेत्र में सरयू के तटवर्ती बलेसरपुरवा, सोंतीपुरवा, अंगरौरा, अखरी, बाबाकुटी, निरंजन पुरवा, मिश्रनपुरवा, शंकरपुरवा, बंगालीपुरवा, नया पुरवा, कोठार, बैजू पुरवा, बक्सी पुरवा, कनरखी समेत 20 गांव बाढ़ की चपेट में हैं। घरों में 2 फीट पानी भरने से रहने के साथ खाना बनाने की समस्या उत्पन्न हो गई है।

सड़कों पर जलभराव से आवागमन बाधित है। तटबंध पर शरण लिए मुन्नीलाल, सुनील सोहन, हजारी, मुन्नू, पुत्ती लाल, राम लखन, मिश्री लाल, श्यामू ने बताया कि एक टाइम लंच पैकेट दिया जाता है। जिसमें पूड़ी सब्जी होती है। इससे दोनों समय पेट भरना मुश्किल है। राशन इस बार अभी तक बांटा नहीं गया है। जबकि तीसरी बार बाढ़ आई है। राशन के अभाव में परिवार के सभी सदस्यों का पेट भरना मुश्किल हो रहा है।

वहीं, ब्लॉक रेउसा क्षेत्र में संतराम पुरवा, नई बस्ती, आशाराम पुरवा, गार्गी पुरवा, पासिन पुरवा, सुकई पुरवा समेत 15 गांव बाढ़ से प्रभावित हैं। बसंतापुर, दूलामऊ, आशाराम पुरवा, जंगल टपरी आदि मार्गों पर बाढ़ का पानी भर गया है। ऐसे में जोखिम उठाकर लोग आवागमन करने को मजबूर हैं।

एसडीएम महमूदाबाद शिखा शुक्ला का कहना है कि ग्रामीणों से सुरक्षित स्थानों पर रहने की अपील की गई है। राहत सामग्री के लिए जिले पर रिपोर्ट भेजी गई है। जब बाढ़ का पानी 5-6 दिनों तक ठहर जाता है तो खाद्यान्न वितरण की स्थिति बनती है। इस बार अभी ऐसा नहीं हुआ है।

अयोध्या: बाढ़ से घिरे रुदौली के सात गांवों के 205 घर

अयोध्या में बैराजों से छोड़े गए पानी से सरयू में उफान तेज हो गया है। नदी लाल निशान से 25 सेमी. ऊपर बह रही है। तटीय इलाकों में बसे लोगों की परेशानियां एक बार बढ़ा गई हैं। रुदौली तहसील के सात गांव बाढ़ से घिर गए हैं। इन गांवों के 205 परिवारों को संकट झेलना पड़ रहा है।

केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, शनिवार शाम छह बजे सरयू का जलस्तर 92. 98 मीटर रिकॉर्ड किया गया जो कि लाल निशान 92.73 मीटर से 25 सेमी. ऊपर है। फिलहाल सरयू में वृद्धि का क्रम ठहर गया है, जिससे कटान का खतरा बढ़ गया है। रुदौली क्षेत्र में नदी किनारे बसे कैथी मांझा के 35, सल्लाहपुर के 70, मुझेहना के 20,सरायनसिर के 15, अब्बूपुर के 28, कैथी के 7, महंगू का पूरवा के 65, मरौचा के 15 परिवार बाढ़ की जद में हैं।

जलस्तर बढ़ने से रौनाही तटबंध से होकर अब्बुपुर जाने वाला संपर्क मार्ग मरौंचा व कैथी मांझा संपर्क मार्ग जलभराव के कारण बाधित है। तहसील प्रशासन द्वारा हल्का लेखपाल को स्थिति पर नजर रखने के लिए सख्त निर्देश दिए हैं। नायब तहसीलदार अनूप श्रीवास्तव ने बताया जलस्तर बढ़ने से नदी का पानी मैदानी भागों से होते हुए बंधा के किनारे पहुंच गया है।

पानी से होकर स्कूल जाने की मजबूरी

नदी का जलस्तर बढ़ने से बंधे से जुड़े कई संपर्क मार्गो पर जलभराव हो गया है। इससे बच्चे पानी से होकर स्कूल जाने को मजबूर हैं। कैथी माझा गांव के निवासी कक्षा 6 के छात्र पुत्तीलाल बताते हैं कि गांव के अजीत, गुलशन, अखिलेश, संचित, आशीष, कुलदीप, अरविंद, आदि प्राइवेट स्कूल में पढ़ने जाते हैं। गांव व स्कूल के बीच रास्ते में तीन जगह पानी भरा है। छात्र रंजीत ने कहा कि घर से तैयार होकर निकलते है, रास्ते में पैंट उतारकर जलभराव को पार करते हैं।

गोंडा: थोड़ा घटी सरयू, खतरा बरकरार

खतरे के निशान से 25 सेंटीमीटर ऊपर पहुंचा सरयू का जलस्तर अब कम हो रहा है। शनिवार को जलस्तर आठ सेंटीमीटर घट गया। वहीं, तीन लाख क्यूसेक से ज्यादा पानी डिस्चार्ज हो रहा था। हालांकि बाढ़ प्रभावित गांवों के लोगों को अभी कोई राहत नहीं मिली है। प्रभावित गांवों में सबसे बड़ी समस्या पशुओं के चारे को लेकर पैदा हो गई है। गांवों के रास्तों और खेतों में पानी भरने से ग्रामीण परेशान हैं। सरयू के जलस्तर में बढ़ोत्तरी के बजाय अब स्थिरता आई है।

शनिवार को पानी का डिस्चार्ज बढ़कर 3.16 लाख क्यूसेक हो गया है। नदी के पानी का फैलाव ग्रामीण क्षेत्रों में होता जा रहा है। चरसड़ी बांध के बीच बसे गांव रायपुर मांझा, परसावल, कमियार, नैपुरा, लोड़ेमऊ, बांसगांव और बेहटा एवं दक्षिणी गांव में पानी भरा है।

करनैलगंज तहसील के ग्राम नकहरा में बाढ़ के पानी का फैलाव धीरे-धीरे हो रहा है। शनिवार को नदी का जलस्तर स्थिर हो गया। 10 हजार से अधिक की आबादी एल्गिन-चरसड़ी बांध पर आ चुकी है। कमियार, परसावल, नैपुरा गांव के लोग बांध एवं दूसरे छोर पर गोंडा जिले की सीमा के अंदर सुरक्षित स्थानों पर आशियाना बना रहे हैं। अभी बाढ़ कुछ दिन और रहने के आसार देखते हुए लोग सहमे हैं। दरअसल, बाढ़ प्रभावित बाराबंकी के गांवों में अभी तक प्रशासनिक स्तर पर कोई सुविधा मुहैया नहीं कराई गई है। ग्रामीण अपनी नावों से ही गांव जा रहे हैं। अवर अभियंता रवि वर्मा ने बताया कि जलस्तर स्थिर है। नवाबगंज के दत्तनगर से ब्योंदा माझा व बनगांव को जाने वाला मार्ग पूरी तरह जलमग्न हो गया। कई विद्यालयों में पानी भरा हुआ है। जिससे बच्चों की पढ़ाई बाधित है।

बाराबंकी: 70 घरों की बढ़ी परेशानी, पंप लगाकर निकाला पानी

शहर से गुजरे जमुरिया नाले का जलस्तर कम तो हुआ है लेकिन किनारे पर बसे मोहल्लों में पानी भरा हुआ है। करीब 70 घरों के लोगों का आवागमन पूरी तरह से ठप है। प्रभावित मोहल्लों में नगर पालिका की ओर से नाले-नालियों की सफाई तो कराई गई, लेकिन स्थायी समाधान नहीं हो पाया। वहीं शहर के सर्वाधिक प्रभावित चार मोहल्लों में पंप लगाकर जलनिकासी कराई गई, लेकिन कोई खास फायदा नहीं हुआ।

शुक्रवार सुबह तक हुई बारिश के बाद जमुरिया नाला उफनाने से किनारे पर बसे पीरबटावन, दुर्गापुरी, कैलाश आश्रम वार्डों के तमाम मुहल्लों में पानी भर गया था। बारिश थमने के कारण शनिवार को जलस्तर कम तो हुआ है, फिर भी पीरबटावन में रेलवे लाइन के किनारे करीब तीन दर्जन घरों के आगे पानी भरा है। रेलवे लाइन के पुल के निकट बच्चे नाले के पानी में छलांग लगाते रहते हैं। (बाराबंकी शहर के दुर्गापुरी मोहल्ले में शनिवार को भरा उफनाए जमुरिया नाले का पानी। घरों में भी पानी घुस गया)

सफाई निरीक्षक अधुलिका सिंह ने यहां पर जलकुंभी हटवाने के साथ चोक नालियों को खुलवाया, पर पानी नहीं निकल पाया। कम्हरियाबाग में किंग जार्ज स्कूल के सामने व पीछे की ओर अभी भी जलभराव है। इससे आसपास रहने वाले लोग घरों में कैद होकर रह गए हैं। यहां जलनिकासी कराने के लिए नगर पालिका के अब तक कोई ठोस उपाय नहीं है। ऐसे में जलस्तर स्वत: घटने का इंतजार किया जा रहा है।

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