Gonda News: बागियों ने खेला खेल, सियासी दल हुए फेल

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गोंडा। नगर निकाय चुनाव में बागियों ने ऐसी गोटियां बिछाईं की पार्टियों के चूलें हिल गईं। हालात यह हैं कि अब पार्टियों को अपनी चूक भी समझ में आ रही है और बागियों के दांव भी सामने दिख रहे हैं। पांच सीटों पर बगावत से प्रभावित हुए चुनाव नतीजे अब नई तस्वीर पेश कर रहे हैं। भाजपा को चार सीटों पर बगावत से नुकसान हुआ है। सपा भी एक सीट पर बागी के दांव से नुकसान में रही।

आजादी के बाद मंडल मुख्यालय पर दूसरी बार कमल खिलाने का सपना धरा ही रह गया। यहां भाजपा से टिकट न मिलने पर पूर्व चेयरमैन रूपेश कुमार उर्फ निर्मल श्रीवास्तव बगावत पर उतर आए। उन्होंने अपनी पत्नी संध्या श्रीवास्तव को निर्दल ही मैदान में उतार दिया। संध्या ने भाजपा के वोटों पर जमकर कैंची चलाई। सजातीय वोटों के साथ ही भाजपा के मूल वोटर का एक बड़ा वर्ग निर्मल के साथ चला गया। भाजपा को यहां 15,362 वोट मिले, वहीं संध्या ने 13,849 मत हासिल किए। नतीजतन 18,805 वोट पाकर सपा की उज्मा राशिद विजयी हो गईं। माना जा रहा है कि यहां बागियों की कैंची न चलती तो भाजपा को 25 हजार से अधिक मत मिल सकते थे। अब पार्टी के जिम्मेदारों काे भी अपने निर्णय पर पछतावा हो रहा है।

नवगठित नगर पंचायत बेलसर में भी बागियों के प्रकोप से भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। करीब तीन दशक से भाजपा में सक्रिय रहे पूर्व जिलाध्यक्ष अकबाल बहादुर तिवारी, महामंत्री विष्णु प्रताप नारायण सिंह व शिक्षक नेता अजीत सिंह की नाराजगी ने कमल नहीं खिलने दिया। इनके पीछे पार्टी के एक कद्दावर नेता व विधान परिषद सदस्य का नाम सामने आ रहा है। चर्चा है कि उन्होंने स्थानीय विधायक से सियासी रूप से छत्तीस का आंकड़ा होने पर खूब रिश्तेदारी निभाई। पूर्व जिलाध्यक्ष और महामंत्री पर अंदरखाने से सपा की मदद करने का आरोप लगाकर बाहर का रास्ता तो दिखा दिया गया। अब प्रत्याशी और संगठन के पैरोकारों ने ‘बड़े जनप्रतिनिधि’ पर कार्रवाई की मांग उठाई है।

कटरा बाजार से भाजपा विधायक बावन सिंह के भाई विजय प्रताप उर्फ तिरपन सिंह व चरेरा के राजेश पांडेय की बगावत पार्टी प्रत्याशी अर्जुन प्रसाद तिवारी को सियासी भंवर में ले डूबी। इन दोनों बागियों ने पार्टी का 2,541 वोटों का नुकसान किया। जिससे सपा की शमा परवीन की जीत की राह ज्यादा आसान हो गई।

नवाबगंज नगर पालिका परिषद में भाजपा के सक्रिय सदस्य सत्येंद्र सिंह ने पार्टी सिंबल के बजाय निर्दल उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़कर पार्टी प्रत्याशी को पटखनी दी। हालांकि कैसरगंज सांसद बृजभूषण शरण सिंह के बेटे करन भूषण सिंह और प्रतिनिधि संजीव सिंह आदि शुरू से उनके साथ पूरी मेहनत करते रहे।

सपा के बागियों ने भी पार्टी की झोली से एक सीट निकालकर भाजपा को दे दी। नगर पंचायत क्षेत्र धानेपुर में सपा ने शाहिद अली की पत्नी आसमा को टिकट दिया मगर ऐन वक्त पर टिकट काटकर सलीका खानम को दे दिया। जिससे शाहिद ने अपनी पत्नी को निर्दल ही मैदान में उतार दिया। वह खुद तो नहीं जीत सके मगर 3,075 वोट पाकर सपा की नैया डुबो दी। वहीं, टिकट मांग रहे छात्रसंघ उपाध्यक्ष ने बागी रुख अपनाते हुए समर्थकों के साथ भाजपा की सदस्यता ले ली। जिससे भाजपा प्रत्याशी को मजबूती मिल गई।

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